नेत्र रोगों का उपचार: ऑप्थलमोलॉजिस्ट V/S ऑप्टोमेट्रिस्ट, V/S आयुर्वेदिक विशेषज्ञ

Ophthalmologist vs Optometrist

Ophthalmologist vs Optometrist

आई स्पेशलिस्ट या नेत्र विशेषज्ञ, जिन्हें ऑप्थलमोलॉजिस्ट (Ophthalmologist )  कहा जाता है, और ऑप्टोमेट्रिस्ट दोनों  ही आंखों से जुड़ी समस्याओं के इलाज में विशेषज्ञ होते हैं। इसके लिए एक विशेषज्ञ को आंखों की समस्या को सही ढंग से समझना और डॉक्टर से उचित उपचार प्राप्त करना बेहद जरूरी होता है। अगर देखा जाए तो ऑप्थलमोलॉजिस्ट और ऑप्टोमेट्रिस्ट, दोनों ही आंखों के डॉक्टर होते हैं  और वे आँखों से  जुडी समस्याओं  का रेगुलर जांच करते हैं। 

अगर हम आयुर्वेदिक आई स्पेशलिस्ट ( Ayurvedic Eye Specialist )  की  बात करें तो आंखों की हर प्रकार की बीमारियों का सही डायग्नोसिस कर उसका उपाय और उपचार देने  के लिए ट्रैन्ड होते है, और इस वजह से वह बिना सर्जरी आयुर्वेदिक दवाओं और साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव द्वारा भी इसका इलाज  करते हैं।  यदि आपको पहले से ही आंखों की कोई समस्या है, तो हमेशा एक आई स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए। आयुर्वेदिक आई स्पेशलिस्ट या डॉक्टर बनने के लिए बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) कोर्स करना आवश्यक है।

  • यह कोर्स मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किया जा सकता है।
  • कोर्स की अवधि लगभग 4.5 साल होती है, जिसमें 1 साल की इंटर्नशिप भी शामिल होती है।
  • बीएएमएस के बाद एमडी आयुर्वेद किया जा सकता है या रजिस्ट्रेशन कर प्रैक्टिस शुरू की जा सकती है।
  • बीएएमएस कोर्स की फीस अलग-अलग राज्यों और कॉलेजों में भिन्न होती है।
  • निजी कॉलेजों में सालाना फीस औसतन 2 से 3 लाख रुपये तक होती है।
  • सरकारी कॉलेजों में फीस अपेक्षाकृत कम होती है।

 

मायोपिया, जिसे निकट दृष्टिदोष या नज़दीक की दृष्टि कमजोर होना भी कहते हैं, एक आम नेत्र विकार है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखती हैं। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब आंख का लेंस या कॉर्निया ठीक से प्रकाश को फोकस नहीं करता, जिससे रेटिना पर चित्र ठीक से नहीं बनता है। 

मायोपिया बच्चों और बड़ों में काफी ज्यादा  चर्चित है। बाचों में इसका कारण बढ़ता स्क्रीन टाइम  है और यह  बड़ों  में भी बढ़ते डिजिटलiइज़ेशन कार्य पद्धति की वजह से  देखा जा रहा है। इसे सामान्यतः चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या लेजर सर्जरी द्वारा ठीक किया जाता है। नियमित नेत्र परीक्षण और उचित उपचार मायोपिया को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। मायोपिया के  लिए आप अपनी आँखों के टेस्टिंग ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा करा सकते हैं लेकिन मायोपिया के इलाज के लिए आपको आयुर्वेदिक  डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। इसी प्रकार कैटरेक्ट Cataract  की समस्या में आप बिना ऑपेरशन आयुर्वेदिक आई स्पेशलिस्ट द्वारा इलाज करा सकते हैं। 

 

डॉ बासु आई हॉस्पिटल में हम बिना सर्जरी आँखों में विक्सित अपरिपक्वा मोतियाबिंद ( Cataract )   का इलाज  करते हैं।  यहां पर विशेष रूप से आंखों की गंभीर बीमारियों जैसे ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्युलर डिजनरेशन, और रेटिना से संबंधित अन्य समस्याओं का सफलतापूर्वक उपचार किया जाता है। डॉ. बासु आई हॉस्पिटल में आधुनिक नेत्र परीक्षण और डायग्नोसिस के साथ-साथ आयुर्वेदिक उपचार से रोगियों को प्राकृतिक और प्रभावी समाधान प्रदान दिए जाते हैं। यहां का उद्देश्य न केवल आंखों की बीमारियों का इलाज करना है, बल्कि रोगियों की दृष्टि को लंबे समय तक सुरक्षित और सशक्त बनाना है।

(Optometrist) ऑप्टोमेट्रिस्ट कौन होते हैं?

 

( Optometrist )ऑप्टोमेट्रिस्ट वे पेशेवर होते हैं जो प्राथमिक आँखों से जुडी समस्याओं का देखभाल करते हैं। उनका कार्य  है आँखों का परीक्षण और सुधार से लेकर, आंखों  का डायग्नोसिस , उपचार और विज़न में होने वाले बदलावों  को कैसे मैनेज किया जाए। हालांकि, ऑप्टोमेट्रिस्ट को डॉक्टर नहीं माना जाता है। एक ऑप्टोमेट्रिस्ट ऑप्टोमेट्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे ऑप्टोमेट्री (ओडी) की डिग्री मिलती है। ऑप्टोमेट्रिस्ट्स को आंखों की जांच करने, आँखों से जुड़े परीक्षण करने और कुछ आँखों से जुड़े रोगों के लिए दवाएं लिखने का लाइसेंस  मिला हुआ होता है।

 

( Optometrist )ऑप्टोमेट्रिस्ट आपके आँखों का नंबर चेक करता है और अगर आपके चश्मे का नंबर बढ़ गया हो तो उसका रिपोर्ट वह  आई स्पेशलिस्ट को आगे  भेजता है  ताकि वह पेशेंट की आँखों के बढ़ते हुए प्रॉब्लम को सही तरीके से डाइग्नोस करें और  एक ऑप्टोमेट्रिस्ट आपके आई का प्रेशर भी चेक करता है  ताकि  यह ज्ञात हो सकें की आपके आँखों का प्रेशर नार्मल है की नहीं। आँखों में बढ़ा हुआ प्रेशर भी आँखों से जुडी बीमारी का संकेत है, और इससे जुड़े आँखों के रोग   की जानकारी एक आई स्पेशलिस्ट ही दे सकता है | 

 

जिस तरह से एक ऑप्टोमेट्रिस्ट को डॉक्टर का लाइसेंस नहीं मिल सकता उसी तरह मेडिकल डॉक्टरों को ऑप्टोमेट्रिस्ट का लाइसेंस नहीं मिलता।यह सच है की  कुछ ऑप्टोमेट्रिस्ट और उनके संगठन “पूर्ण रूप से पेशेंट के देखभाल ” का अधिकार पाने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें  उन्हे  सर्जरी करने का अधिकार से लेकर  आंखों की बीमारियों का इलाज करने और दवाएं लिखने के अधिकार शामिल हैं। हालांकि, इस मांग का चिकित्सकों, कई विधायकों और जनहित समूहों ने विरोध किया है। यह विरोध मुख्य रूप से ऑप्टोमेट्रिस्ट के अपर्याप्त प्रशिक्षण, सार्वजनिक जवाबदेही और मानकों की कमी पर आधारित है, खासकर जब उनकी तुलना नेत्र विज्ञान में अनुभवी डॉक्टरों से की जाती है।

जनहित की रक्षा तभी होगी जब पेशेवर अधिकार को पेशेवर क्षमता के

साथ जोड़ा जाए। क्षमता का आकलन करते समय प्रशिक्षण, अनुभव और उपकरणों द्वारा किए गए परीक्षणों को समान रूप से महत्व दिया जाना चाहिए। मरीजों की सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए, और उन्हें वही चिकित्सा पेशेवर तरीके मिलने चाहिए जिनके पास उपयुक्त प्रशिक्षण और मान्यता प्राप्त परिणामों के साथ प्रमाणित क्षमता हो।

ऑप्टोमेट्रिस्ट का  कोर्स और उसकी अवधि 

ऑप्टोमेट्री स्नातकोत्तर कार्यक्रम एक डॉक्टरेट है जिसे पूरा करने में स्कूल और पाठ्यक्रम के आधार पर लगभग 4 साल लगते हैं। ऑप्टोमेट्री कोर्स में आंखों और दृष्टि से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन किया जाता है। इस कोर्स में में शामिल हैं:

  • बुनियादी और उन्नत नेत्र परीक्षण तकनीकें
  • क्लाइंट केसेस का इतिहास और मामले का अध्ययन
  • प्राकृतिक विज्ञान (प्रकाशिकी सहित) और औषध विज्ञान में अतिरिक्त पाठ्यक्रम
  • आँखों से जुड़े आई प्रॉब्लम का डायग्नोसिस 
  • करेक्टिव लेन्सेस का प्रिस्क्रिप्शन बनाना 
  • गंभीर आँखों के रोगों का मैनेजमेंट 
  • प्रोफेशनल तरीके से विज़न चेक करना 
  • नेत्र रोगों की पहचान 
  • कॉन्टैक्ट लेंस, लो-विज़न उपकरण, और विज़न थेरेपी का उपयोग
  • आंखों के व्यायाम (आई एक्सरसाइज़)

 

ऑप्थलमोलॉजिस्ट (नेत्र रोग विशेषज्ञ)

आई स्पेशलिस्ट को एक मेडिकल डॉक्टर  भी कहा जा सकता है, जो “आंख और आँखों से जुड़े देखभाल” के क्षेत्र में स्पेशलिस्ट होते हैं। उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण, डाइग्नोसिस और उपचार के मामले में वे ऑप्टोमेट्रिस्ट से अलग होते हैं। एक आई स्पेसलिस्ट को दवा और सर्जरी की प्रैक्टिस का लाइसेंस प्राप्त करने से पहले स्कूल और फिर कॉलेज की पढ़ाई और कम से कम फाइव इयर्स का मेडिकल डिग्री और तीन से चार  साल की  मेडिकल ऑप्थल्मोलॉजी  का स्पेशलाइजेशन कोर्स करना पड़ता है।  

डॉ बासु आई हॉस्पिटल में किये जाने वाले इलाज 

 नेत्र रोग विशेषज्ञ सभी नेत्र रोगों का डायग्नोसिस और उपचार करने में सक्षम होते हैं। एक आयुर्वेदिक आंखों  के स्पेशलिस्ट  ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा किये गए आई टेस्ट के रिपोर्ट के आधार पर और  पेशेंट के आँखों के फिजिकल डायग्नोसिस के पश्चात करता है।  आँखों के परिक्षण के दौरान आँखों से जुडी मस्याओं को ठीक करने के लिए चश्मे की सलाह भी देते हैं।आमतौर पर नेत्र रोग विशेषज्ञों को आंखों की सभी समस्याओं और स्थितियों का इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। हालांकि, वे दवा या सर्जिकल नेत्र देखभाल के किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने का विकल्प भी चुन सकते हैं।

 ऐसे विशेषज्ञों को उप-विशेषज्ञ कहा जाता है। इन्हें ग्लूकोमा, रेटिना, कॉर्निया, बाल चिकित्सा नेत्र देखभाल आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में एक या दो साल का गहन प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है। यह अतिरिक्त प्रशिक्षण और ज्ञान उन्हें आंखों की अधिक जटिल या विशेष स्थितियों का इलाज करने के लिए सक्षम बनाता है। बेहतर नेत्र देखभाल के लिए, आपको अपनी समस्या के आधार पर नेत्र रोग विशेषज्ञ और ऑप्टोमेट्रिस्ट के बीच सही विशेषज्ञ का चयन करना चाहिए।

शिक्षा और प्रशिक्षण

यहां ऑप्थलमोलॉजिस्ट और ऑप्टोमेट्रिस्ट की शिक्षा और प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी गई है:

  1. प्रवेश – ऑप्टोमेट्री स्कूलों में प्रवेश के लिए स्नातक की डिग्री आवश्यक नहीं होती, जबकि मेडिकल स्कूलों में प्रवेश के लिए स्नातक की डिग्री जरूरी होती है। आवेदकों को मेडिकल कॉलेज प्रवेश परीक्षा (MCAT) देनी होती है, जिसमें गणित, जीवविज्ञान, रसायन, जैव-रसायन, सांख्यिकी और भौतिकी जैसे कॉलेज स्तर के विषय शामिल होते हैं।
  2. पाठ्यक्रम – ऑप्टोमेट्री स्कूल के चार साल के पाठ्यक्रम में ऑप्टिक्स, कॉन्टैक्ट लेंस, विज़न थेरेपी, विज़न साइंस, सेंसरी प्रोसेसिंग, प्रैक्टिस मैनेजमेंट और आंखों की बीमारियों तथा बुनियादी चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विषय शामिल होते हैं। इसमें नेत्र रोगों पर लैब प्रशिक्षण और निर्देश भी दिए जाते हैं। दूसरी ओर, मेडिकल स्कूल का चार साल का पाठ्यक्रम चिकित्सा के मूल सिद्धांतों और उसकी वैज्ञानिक अवधारणाओं पर केंद्रित होता है, जिसमें एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, जेनेटिक्स, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, पैथोलॉजी, और प्रिवेंटिव मेडिसिन जैसे विषय शामिल होते हैं।
  3. रोग प्रशिक्षण – ऑप्टोमेट्रिस्ट क्लिनिकल प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करते, जबकि मेडिकल छात्रों को दो वर्षों तक विभिन्न विशेषज्ञताओं में रोगी देखभाल का अनुभव मिलता है। उन्हें चिकित्सा के सभी पहलुओं में मरीज़ों के प्रबंधन का डायरेक्ट अनुभव मिलता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ बनने के लिए, जनरल मेडिकल, बाल चिकित्सा या सर्जिकल इंटर्नशिप में एक साल की ट्रेनिंग भी ज़रूरी होती है।
  4. स्नातकोत्तर प्रशिक्षण – ऑप्टोमेट्री में स्नातकोत्तर प्रशिक्षण अनिवार्य नहीं है। इसके विपरीत, नेत्र रोग विशेषज्ञ बनने के लिए एक वर्ष की सामान्य चिकित्सा, बाल चिकित्सा या सर्जिकल इंटर्नशिप में प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
  5. क्लिनिकल अनुभव – नेत्र रोगियों के साथ न्यूनतम विज़िट संख्या के लिए कोई मान्यता प्राप्त मानदंड नहीं होते।

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Dr. Basu Eye Care Centre is a leader in Ayurvedic eye care, offering non-surgical treatments for eye diseases since 1980. We treat different types of eye problems like immature cataracts, myopia, glaucoma,  and other retina related diseases.